श्रीराम एक हे नाम। स्तोत्र मंत्र न काय हे?
मानवा पाव आराम। शक्तिवर्धक पेय हे।।
तुझा राम तुझ्या देही। कार्यकर्मच पूजन
विलासी जरा न राही। उद्योगी प्रभुदर्शन।।
चालू क्षण त्वरे साध। व्यर्थ बडबड ती नको
गुणांचा घेत जा शोध। निंदेची खोड ती नको।।
केल्याने होत आहे रे। समर्थे कथिले तुला
यत्न श्रीराम आहे हे। जाणुनी वागणे मुला।।
दौर्बल्य पायबेडी ही। दे तोडुनी भिरकावुनी
युक्तिने मुक्ति लाभे ही। घेई संधीच साधुनी।।
संघजीवन हे तंत्र। एकटा दुबळा खरा
'तू, मी, तो' सगळे राम। पेलणे महती धुरा।।
देह दुःख सुखे सोस। वेदना वर ईश्वरी
जानकीनाथ कैवारी। प्राणांती विस्मरू नको।।
खेडोपाडी, झोपड्यात। हिंड जा मोकळ्या मने
दीनांस लावुनी जीव। राघवा प्रिय हो सदा।।
नको धन, नको कीर्ती। सत्तेची लालसा नको
अंतरे राम ज्या योगे। ऐसा मोह नको नको।।
प्रपंची परमार्थी वा। सावधानच राहणे
दासबोधी जसा बोध। तैसे नित्यच वागणे।।
दृष्टीत आगळे प्रेम। सृष्टी प्रेमळ हो तरी
भाषणी गोडवा येता। राम बाहेर अंतरी।।
रचयिता : श्रीराम बाळकृष्ण आठवले
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