रक्षणार्थ हो खडें सीना तान के
करें सशक्त यह समाज अग्रणी बनें। ध्रु.
अन्नवस्त्र अल्प है आसरा न कुछ भी है
प्रबुद्ध देश है कहॉं, भारतीय सुप्त है
सिद्धि के लिए यहॉं, जननी भगीरथ जने।१
भक्तिहीन आदि से, शक्तिशून्य हैं सभी
आते, रहते, फूटते हैं बुदबुदे सभी
जागते हुए जनेश के जनक बनें।२
सद्गुणी पराक्रमी हुई अनेक पीढियॉं
मुसीबतें कई निगल खडी रही पुरुषस्त्रियॉं
विजयगीत ध्यान दे हर कोई यहॉं सुने।३
व्यक्ति व्यक्ति भिन्न है, मार्ग भी न एक है
स्नेहशील एकता फिर भी यह समीप है
एक सूत्र में पिरो हार यह बने।४
शांति से समृद्धता खिल उठे यहॉं
सुवर्णभूमि हिंदुभू कह पडे जहॉं
बढे चलो, बढे चलो गीत गुनगुनें।५
- श्रीराम बाळकृष्ण आठवले
१६.१२.२००३ (अनुवादित)
करें सशक्त यह समाज अग्रणी बने..
👆🏻 ऑडिओ
करें सशक्त यह समाज अग्रणी बनें। ध्रु.
अन्नवस्त्र अल्प है आसरा न कुछ भी है
प्रबुद्ध देश है कहॉं, भारतीय सुप्त है
सिद्धि के लिए यहॉं, जननी भगीरथ जने।१
भक्तिहीन आदि से, शक्तिशून्य हैं सभी
आते, रहते, फूटते हैं बुदबुदे सभी
जागते हुए जनेश के जनक बनें।२
सद्गुणी पराक्रमी हुई अनेक पीढियॉं
मुसीबतें कई निगल खडी रही पुरुषस्त्रियॉं
विजयगीत ध्यान दे हर कोई यहॉं सुने।३
व्यक्ति व्यक्ति भिन्न है, मार्ग भी न एक है
स्नेहशील एकता फिर भी यह समीप है
एक सूत्र में पिरो हार यह बने।४
शांति से समृद्धता खिल उठे यहॉं
सुवर्णभूमि हिंदुभू कह पडे जहॉं
बढे चलो, बढे चलो गीत गुनगुनें।५
- श्रीराम बाळकृष्ण आठवले
१६.१२.२००३ (अनुवादित)
करें सशक्त यह समाज अग्रणी बने..
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