कमल जैसा हम खिलेंगे
भीख ना मांगे कभी
मुक्त भय से नित्य होंगे
ना कसर छोड़े कभी।
भीख ना मांगे कभी
मुक्त भय से नित्य होंगे
ना कसर छोड़े कभी।
हो विलासों पर नियंत्रण
सभ्यता बनती रहे
जन्मभूमि का आमंत्रण
ज्योंही त्यों स्मृति में रहे।
स्वावलंबन संघजीवन
शास्त्र है वैसी कला
भावभीगा मूल्यचिंतन
जो करे वह नर भला।
यह लड़ाई खुद को लड़नी
मोह भय से ना डरे
विजय अपनी अटल ही है
काम अपना हम करें।
रचयिता : श्रीराम बाळकृष्ण आठवले
०९.१२.२००३
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