Saturday, October 2, 2021

अटलजींवरील हिंदी कविता

खडे रहो अपने पथ पर तुम
आगे बढने के लिए
याद रखो हो अमृतपुत्र तुम
गीता जीने के लिए।१

मैं विवेक आनंद है मुझ में
आत्मा पर जागृत विश्वास।
प्रकाश नयनों में है उतरा
संथ हुई है मेरी साँस।२

उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम
मातृभूमि पर चरण चले
विचार भारत तथा विश्व का
चिंतन के हैं कमल खिले!३

कृतज्ञ हूं मैं परमेश्वर का
मिली भगिनीयाँ बंधु मिले
सरस्वती आ बैठी जिव्हापर
वच से जन के हृदय हिले।४

हर नरेंद्र स्वामी बन सकता
रामकृष्ण यदि मिल जाए।
प्रभुसेवा जनसेवा सन्मति
कृति कृति में दिख जाए।५

अपने को ना क्षुद्र समझना
कमी यदि है निश्चय की
सत्य यत्न साकार रामजी
कौन बड़ाई तनमन की।६

कवि : श्रीराम बाळकृष्ण आठवले
२४.१२.२००३

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