दिनारंभ हो कृष्ण नाम से
हर कोई गीता पठण करे
श्रवण करे, मनन करे, ध्यान करे और गान करे।
गीता सुन मिट जाए अंधेरा
हिय हिय में हो जाए सवेरा
हर कोई अपना कार्य करे ।।१।।
शरीर जब निर्मलरथ बनता
पार्थसारथी अवश्य आता
भक्तिमार्गपर चला करे ।।२।।
जीवन सारा है समरांगण
त्यज के क्रंदन करे संक्रमण
अबसे गीताचार करे ।।३।।
घर में गीता, कर में गीता
कविगायक जब करे सुगीता
प्रसादवितरण शीघ्र करे।।४।।
रचयिता : श्रीराम बाळकृष्ण आठवले
सप्टेंबर २००४
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