Sunday, December 25, 2022

इतना कहना तुम मानो अपने आपको पहचानो

इतना कहना तुम मानो 
अपने आपको पहचानो!ध्रु. 

पार्थ ना केवल पार्थिव है
तेजोनिधि रवि औ शशी है 
बात पते की तुम जानो!१ 

तुम ना कर्ता, भोक्ता हो 
तुम ना कायर बंदी हो 
असीम आत्मा को जानो!२ 

जनन मरण स्वाभाविक है
सहना भी सुखदायक है 
खडे रहो सीना तानो!३ 

जो होगा होता ही है 
अनुचित पीठ दिखाना है 
शशक नही तुम सिंह बनो!४ 

कोऽहं क्या यह सवाल है 
सोऽहं केवल जबाब है
ज्ञानी हो तुम योगी बनो!५

रचयिता : श्रीराम बाळकृष्ण आठवले
२४.०७.२००४

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