Sunday, December 11, 2022

जहां तहां सोऽहम् सोऽहम्

रैन गई और हुआ सबेरा 
मनपंछी गाता सोऽहम्
स्वस्वरूप का स्मरण करो
सुन पाओगे तुम सोऽहम् 
जहां तहां सोऽहम् सोऽहम्। 

सद्गुरुनाथ, मंगलनाथ 
जय नवनाथ, जय श्रीनाथ 
मिटी पहेली अब कोऽहम्। 

डाल डाल पर सुमन खिले 
भाव सुमंगल आके मिले
गूंजी शहनाई सोऽहम्। 

भाग्य उसी का जो जागा 
दूर दूर भवभय भागा 
मनसे पुकारो धन्योऽहम्।

सुन पाओगे तुम सोऽहम्
जहां तहां सोहम सोऽहम्।

रचयिता : श्रीराम बाळकृष्ण आठवले
१८.०७.२००४

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