ॐ
रघुपति राघव राजाराम
पतितपावन सीताराम।ध्रु.
भारतीय हम गाएँगे
गाकर सब सुख पाएँगे
सन्मतिदाता प्रभु श्रीराम।१
राम प्रेम की भाषा है
समरसता की आशा है
सहजीवन की विद्या राम।२
श्रीरामायण चिंतन है
श्रीरामायण दर्शन है
जन को सुजन बनाते राम।३
जहाँ वासना राम नहीं
जहाँ द्वैत वहाँ राम नहीं
सर्वात्मकता समूर्त राम।४
सेवा कैसी करनी है
पवनपुत्र से पढ़नी है
उसे प्रेरणा देते राम। ५
जो कोई पछताएगा
सरल मार्गपर आएगा
उदात्त उन्नत करते राम।६
सीताहृदयस्थित श्रीराम
आप बन गये सीताराम
सब मिल गाएँ जय श्रीराम।७
रचयिता : श्रीराम बाळकृष्ण आठवले
२९ एप्रिल २००२
रविवार, रामनवमी
पहाट ४.३५
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